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वेद के कुल छः अंग है ।

(1) ज्योतिष

(2) व्याकरण

(3) शिक्षा

(4) निरुक्त

(5) कल्प

(6) छन्द

इन छः अंगों में ‘ज्योतिषं वेद चक्षुरस्तु’ अर्थात् ऐसा कहा गया है कि ज्योतिष उस वेद का नेत्र है । व्याकरण उन वेदों का कान है । कल्प उन वेदों का हाथ है

और छंद को दोनों चरण कहा गया है ।

ज्योतिष शास्त्र पूर्णतः विज्ञान है, जो ग्रहों की गति के आधार पर प्रत्येक बात की भविष्यवाणी कर सकता है। तार्किक रूप से प्रमाणित होनेवाली बातें भी ज्योतिष

की दृष्टि से देखने पर अनेक बार अतार्किक लगती है और ऐसा होने पर भी भविष्य कथन तर्क से परे विद्या है । तर्क संभावना है, जबकि ज्योतिष सत्य का प्रत्यक्ष

प्रमाण है ।

अधिकांश लोगों का ज्योतिष विद्या पर से विश्वास उठ रहा है , जिसका मूल कारण है प्राचीन विद्या का अनदेखा करना ||

एक अच्छा MBBS डाक्टर बनने में कम से कम २०-२५ वर्ष लग जातें है वो भी शरीर के किसी एक भाग का विशेषज्ञ बनने में, जो कि दिखता है |

जबकि ज्योतिष विद्या तो उस चीज से संबन्धित है जो दृश्य नही है |